2022 में दहेज प्रथा के फायदे और नुकसान- Advantages and disadvantages of dowry system in Hindi

दहेज शब्द की उत्पती अरबी भाषा में हुई थी, जिसका अर्थ होता है सौगात या भेट-उपहार। कई सालो पहले शादी के दौरान एक लड़की के परिवार द्वारा पैसे, संपत्ति, आभूषण और अन्य कीमती वस्तुए दूल्हे के परिवार को दी जाती थी, जिसे दहेज प्रथा कहा जाता था। लेकिन कुछ समय बाद के अंदर लालच जागी और इस प्रथा ने एक बुराई का रूप ग्रहण कर लिया। वर्तमान समय में अगर आपको अपनी बेटी की शादी करवानी है तो दहेज देना ही होगा। यदि कोई महिला दहेज नहीं दे पाती तो उसे ससुराल में परेशान किया जाता है।

आज दहेज प्रथा एक सामाजिक अभिशाप बन चुका है। इसीलिए कई समाज सुधारकों का कहना है कि दहेज प्रथा से महिलाओ का विवाह न होकर उनका सोदा हो रहा है। लेकिन दहेज लेने वाले कई नीच लोगो को मानना यह है कि लड़के का मूल्य लड़की से ज्यादा है। इसलिए दोनों के मूल्य को समान करने के लिए लड़की के परिवार को पैसे, आभूषण, जमीन और भी कई प्रकार की चिजे देनी पड़ती है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ऐसी सोच हमारे देश के भविष्य को खराब कर रही है। दहेज हमारे देश के विकास और उन्नति पर एक बड़ा तमाचा है। 

लेकिन फिर भी क्या आपको लगता है की, इस दहेज प्रथा से किसी का लाभ हो सकता है?

दहेज प्रथा के फायदे

भारत के कई लोग दहेज प्रथा जैसे गेरकानूनी कार्य को लाभकारी बताते है। उनका यह मानना है कि शादी के बाद एक नया दंपति स्वतंत्र रहना ज्यादा पसंद करता है। परंतु इस समय वो आर्थिक रूप से इतने अच्छे ना होने की वजह से ज्यादा खर्चे नहीं कर सकते है। इसीलिए अगर दहेज में कुछ पैसे, फर्नीचर और अन्य घर काम की कुछ चिजे मिल जाए तो शुरुआती जीवन में उन्हें थोड़ी सहायता मिल जाती है। इस तरह पति-पत्नी दोनों ही दहेज की चीजों से अपने नए जीवन की शुरुआत कर सकते है। 

लेकिन हमें इन लोगों से यह सवाल पूछने की जरूरत है कि दहेज के खर्च का सारा बोझ केवल लड़की के परिवार पर ही क्यों डाला जाता है। अगर दोनों परिवार समान रूप से खर्च करते है, तो किसी को ज्यादा निवेश नहीं करना पड़ेगा। लेकिन ऐसी मानसिकता वाले लोग बहोत कम है ।

अब लोगों का यह भी कहना है कि दहेज देने से लड़की के परिवार वालो का समाज में सम्मान बढ़ता है। आप सोच सकते है कि दहेज के यह भूखे लोग कैसे इस खतरनाक बीमारी को लाभकारी बता रहे है। मुझे नहीं लगता कि इस प्रथा से भारत और विश्व में किसी का फायदा हो सकता है। इससे सिर्फ भयानक नुकसान ही होता है।

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दहेज प्रथा से हानि या दुष्परिणाम

अगर कोई पुरुष सिर्फ दहेज के लिए हमारी बेटी से शादी करे, तो एसी जगह हमारी बेटियाँ कभी खुश नहीं रह सकती। क्योकि जब तक हमारा दिया हुआ धन इनके पास है तब तक हमारी बेटी खुश है। लेकिन दहेज खत्म होने के बाद यह लोग अपना असली रूप दिखाते है और हर तरह से हमारी बेटियों को परेशान करने की कोशिश करते है।

इसलिए आए दिन हम दैनिक समाचार में देखते है कि दहेज के लिए किसी महिला को जिंदा जला कर मार दिया गया या उसे कहीं और ले जा कर हत्या कर दी गई। और वर्तमान में एसी घटनाए बहुत तेजी से बढ़ रही है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में दहेज के लिए 7621 महिलाओ को मार दिया गया था।

इसके अलावा दहेज के कारण कई परिवारों की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है। क्योंकि लड़की के शादी में सजावट, खानपान, रिश्तेदारों को भारी मात्रा में उपहार और दहेज तक की सारी जिम्मेदारी उसके माता-पिता पर होती है। इसलिए कई माता-पिता लड़की के जन्म से ही थोड़े-थोड़े पैसो की बचत करना शुरू कर देते है।

लेकिन फिर भी अगर पैसे कम हो, तो वह अपने रिश्तेदार, दोस्तों और ब्याज देने वाले लोगो से पैसे उधार लेते है। इस तरह अपनी बेटी की शादी के लिए माता-पिता खुद एक बड़े कर्जे के नीचे दब जाते है। हमारे देश में ऐसे कई माता-पिता है, जिनका पूरा जीवन ब्याज चुकाने में चला जाता है। लेकिन यदि ब्याज ज्यादा है तो अंत में उनको आत्महत्या करने के दिन आते है।

दहेज के कारण कई लोग भ्रष्टाचार का सहारा लेते है, क्योंकि वे जानते है कि बेटी की शादी के लिए अधिक धन की आवश्यकता होगी। इसलिए वह अधिक धन कमाने के लिए भ्रष्ट तरीके अपनाते है। उदाहरण के तोर पर रिश्वत लेना, टैक्स का चोरी करना आदि। इसकी वजह से हमारे देश में भ्रष्टाचार का प्रमाण बढ़ता है और अंत में इससे हमारे ही देश का विकास खराब होता है।   

दहेज महिलाओ के लिए तनाव का कारण बनता है। क्योकि जब वह ससुराल जाती है, तब अक्सर ससुराल वाले अपनी बहू के दहेज की तुलना आस-पास की अन्य बहू से करते है। ऐसे लोगो का मुख्य उदेश्य अपनी बहू को व्यंग्यात्मक टिप्पणी करके नीचा दिखाना होता है। ऐसे लोग महिलाओ को अपमानित करने का कोई मौका नही छोडते है।

कई जगहों पर महिलाओं को शारीरिक त्रास दिया जाता है और मारा जाता है। अगर कोई महिला इतना कष्ट सहने के बाद अपने पति और ससुराल को छोड़कर अकेली रहती है, तो हमारा कठोर समाज उसे बुरी नजर से देखता है। अंत में जब कष्ट न झेल पाए तो कोई महिला डूब कर मर जाती है तो कोई रेल के नीचे कटकर। उन्हे आत्महत्या ही अंतिम विकल्प दिखता है। जरा सोचिए, इन महिलाओ के लिए वह परिस्थिति कितनी दयनीय होगी।

इसके अलावा कन्या भ्रूण हत्या भी कुछ हद तक दहेज का कारण होती है। कन्या भ्रूण हत्या यानि माँ के पेट में ही बेटा या बेटी का परीक्षण करना और अगर बच्ची हो तो उसको पेट में ही मार देना। कई माँ-बाप यह सोच कर बेटियों को गर्भ में ही मार देते है कि बेटी की शादी कैसे होगी या दहेज कैसे देंगे। इसलिए जब बेटी का जन्म ही नहीं होगा तो, उसको दहेज भी नहीं देना पड़ेगा। और अगर बच्ची का जन्म भी होजाए तो कई लोग इसे लावारिस छोड़ देते है। इसे देखकर कई बार ऐसा लगता है कि आज इंसानियत मर गयी है। 

दहेज की वजह से आज योग्य लड़कीयो की उम्र होने के बाद भी शादी नहीं हो पाती। इसी के कारण योग्य महिलाए को अयोग्य पति के साथ शादी करनी पड़ती है। इसकी वजह से यह दोनों जीवन के अंत तक किसी प्रकार के सुख को नहीं पा सकते है। उनकी आने वाली पेढ़ी पर भी इसका बहुत गहरा असर पड़ता है।

निष्कर्ष

यह कुप्रथा भारत में सदियों से चली आ रही है। इसी कारण हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी ने कहा था कि यदि कोई भी पुरुष दहेज को अपने विवाह के लिए एक जरुरी शर्त बनाता है, तो वह अपने देश की शिक्षा को बदनाम करता है और महिलाओ का अपमान करता है। गाँधीजी ने आजादी से पहले यह कहा था, लेकिन आजादी के इतने सालो बाद भी दहेज प्रथा को बड़े जोरों-शोरों से निभायी जाती है। लेकिन इस प्रथा ने कई हसते-खेलते परिवारों को निर्जन कर दिया है और कई ज़िंदगीयो को उजाड़ा है। दहेज हमारी पवित्र भारतीय संस्कृति पर एक बड़ा कलंक है।

लेकिन अब हम सभी भारतीयो को इस कुप्रथा के खिलाफ आवाज़ उठानी होगी। इसके साथ-साथ हमें लोगो को समझाना होगा कि दहेज सिर्फ एक प्रेम का उपहार है। जबरदस्ती से खींच लेने वाली संपत्ति नहीं। तभी हम भारत और विश्व से दहेज प्रथा को खत्म कर सकते है।


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