हमें यह जानकार बड़ी प्रसन्नता होनि चाहिए कि भारत सरकार देश की बेटियो के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और महिला सशक्तीकरण जैसी योजनाएँ लागू कर रही है। इससे यह साबित होता है कि हमारी सरकार महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए काम कर रही है। लेकिन दूसरी तरफ यह भी सच्चाई है कि हमारे देश की महिलाए आज भी अपने घर से अकेले निकलने में घबराती है।
वर्तमान भारत की जनसंख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है, लेकिन क्या आप जानते है कि हमारे देश की बढ़ती जनसंख्या के बावजूद महिलाओं की संख्या घटती जा रही है। क्योकि यूनिसेफ के आंकड़ो के मुताबिक भारत बाल लिंग अनुपात के 195 देशो में से 41 वें स्थान पर है। (बाल लिंग अनुपात यानि प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या)
यानि की प्रति हजार पुरुषों पर भारत में महिलाओ की संख्या बहुत कम है। हम लिंग अनुपात में सिर्फ 40 देशों से पीछे है। यह हमारे लिए काफी गंभीर आंकड़े है। इन सभी चीज़ों को ध्यान में रख कर ही हमारी सरकार महिलाओ के लिए नयी-नयी योजनाए लाती है। उसी में से एक है, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना।
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बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना की शुरूआत
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना महिला-बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त प्रयास द्वारा शुरू की गई एक योजना है। इस योजना का मुख्य उदेश्य देश में लगातार घट रहे कन्या शिशु-दर को संतुलित करना, महिलाओ की सुरक्षा करना और उन्हें अच्छी शिक्षा देना है। ताकि भविष्य में कन्या भ्रूण हत्या और दहेज प्रथा जैसे गंभीर अपराधो को रोकने में आसानी हो।
आज महिलाओ को अपने ही परिवार में वह दर्जा नहीं मिल पाता जिसकी वे हकदार है। उनको अपना पक्ष रखने का कोई अधिकार नहीं होता है। इसके साथ-साथ केवल लड़का पाने की इच्छा और कन्या शिसु दर को नीचा जाते देख हमारी सरकार को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना लाने की जरुरत पड़ी। इसलिए हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 जनवरी 2015 को हरियाणा राज्य के पानीपत जिले में इस योजना का शुभारंभ किया था।
इस योजना का शुभारंभ हरियाणा में करने की एक वजह थी। इस योजना को शुरु करने से पहले देश के 100 जिलों में लिंग अनुपात का एक विश्लेषण किया गया और जिस जिले में लिंग अनुपात सबसे अधिक था, वहां इस योजना को सबसे पहले लागू करना था। हरियाणा राज्य में 1000 लड़कों पर सिर्फ 775 लड़कियां ही थी। इसीलिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत हरियाणा से हुई।
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बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान की आवश्यकता
भारत को दुनिया में संस्कृति, धर्म और प्रेम का देश माना जाता है। लेकिन जब से भारत आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है, लोगों की मानसिकता में एक बड़ा बदलाव आया है। इसी मानसिकता के कारण हमारे देश की जनसंख्या में उथल-पुथल मची हुई है। पुरुषो की तुलना में महिलाए संख्या लगातार कम होती जा रही है। इसलिए हमें बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान की आवश्यकता हुई।
इस योजना को लाने के पीछे और भी कई कारण हैं, जिनमें लैंगिक भेदभाव भी जिम्मेदार है। लैंगिक भेदभाव का मतलब है कि लोग बेटियों को जन्म नहीं देना चाहते है। उनकी मानसिकता ऐसी बन गई है कि हमारे घर में बेटे ही पैदा हो, क्योंकि भविष्य में माता-पिता को अपने बेटों के साथ रहना है। इसलिए कई लोग बच्ची को माँ के गर्भ में ही मार देते है, जिसे कन्या भूण हत्या कहा जाता है।
इसमें अल्ट्रासाउंड पद्धति का उपयोग करके लिंग परीक्षण किया जाता है। इस पद्धति का उपयोग करके डॉक्टर यह पता लगा सकता है कि माँ के गर्भ में लड़का है या लड़की। और जब लड़की का पता चलता है तो उसे मार दिया जाता है। यूएन की एक रिपोर्ट अनुसार भारत में हर वर्ष लगभग 7,50,000 कन्याओं का भ्रूण गर्भपात कराया जाता है।
लेकिन अगर फिर भी किसी बच्ची का जन्म हो जाए तो कई बेरहमी माँ-बाप उनको सुनसान जगह पर फेंक देते है। एक बार सोचे तो सही की उस बच्ची की क्या हालत होती होगी। इस तरह लैंगिग भेदभाव को कम करने के लिए, कन्या भूण हत्या को रोकने के लिए और लोगो की भ्रष्ट मानसिकता को बदलने के लिए हमें बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान की आवश्यकता हुई।
दूसरा मुख्य कारण बेटियो के अंदर शिक्षा की कमी है। शिक्षा की कमी के कारण बेटियों अपने विरोधियों की खिलाफ आवाज़ नहीं उठा पाती है। इसकी वजह से भी देश में बेटियों का शोषण होता है। बेटियों के साथ-साथ कई माता-पिता भी पढ़े लिखे नहीं होते है, जिसके कारण वे समाज और लोगों के बहकावे में आ जाते है और बेटा-बेटि में भेदभाव करते है। इस तरह के भेदभाव को खत्म करने के लिए हमें बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की आवश्यकता हुई।
हमारे देश में महिलाओ के लिए दहेज प्रथा भी एक गंभीर समस्या है। क्योकि माता-पिता को अपनी बेटी की शादी में लड़के वालो को बहुत धन और आभूषण देने पड़ते है। इसके अलावा लड़की की शादी में खानपान, सजावट और रिश्तेदारों को भी भारी मात्रा में उपहार देना पड़ता है। इस वजह से भी लोग नहीं चाहते कि उनकी घर में बेटियां जन्मे। ऐसे कई कुरिवाजों को जड़ से मिटाने और लोगो में जागरूकता लाने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान शुरू किया गया है।
इन्हीं सब कारणों से महिलाओं की संख्या में कमी आ रही है। अगर आंकड़ों की बात करें तो साल 1951 में जब देश की पहली जनगणना हुई तब लड़कियों की संख्या 1000 लड़कों की तुलना में 945 थी। 1991 की जनगणना में भी लड़कियों की संख्या 1000 लड़कों के तुलना में 945 थी। लेकिन 2001 की जनगणना में लड़कियों की संख्या 927 और 2011 की जनगणना में लड़कियों की संख्या 918 हो गई। इस तरह हर साल हमारी बेटियों की संख्या लगातार घट रही है।
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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य
जब कोई अभियान या योजना लाई जाती है तो उसके कुछ उद्देश्य भी निश्चित होते है। इसी तरह बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना के कई उद्देश्य थे, लेकिन मुख्य उद्देश्य देश में लिंगानुपात को नियंत्रित करना था। हमारी बेटियों की सुरक्षा करना और उन्हें अच्छी शिक्षा देना भी इस योजना का उदेश्य था।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना हमारे देश की बेटियों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ एक युद्ध है। इसके साथ-साथ कन्या भ्रूण हत्या और दहेज जैसे गंभीर मामलो के विरुद्ध इस योजना द्वारा आवाज उठाई गई है। क्योंकि इसकी वजह से हमारे देश की महिलाओं का भविष्य एक बड़े खतरे में पड सकता है।
महिलाओं के प्रति लोगों की मानसिकता को बदलना भी इस योजना का मुख्य उद्देश्य है। क्योकि अक्सर देखा जाता है कि लोग जितनी खुशी अपने बेटो के जन्म पर मनाते है उतनी खुशी उनकी बेटी के जन्म पर नहीं मनाते है। लेकिन इस योजना के तहत लोगों में जागरूकता लाई जाएगी। ताकि भारत में रहने वाले हर नागरिक को अपनी बेटी पर बेटों की तरह गर्व हो।
इस योजना का उद्देश्य भारत के कई रूढ़िवादी समाजों में बेटियों के प्रति मानसिकता में बदलाव लाना है। ताकि समाज में महिलाओं को पुरुषों के बराबर का अधिकार दिया जा सके। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक सिग्मंड फ्रोएड ने अपने प्रयोगों से सिद्ध करा था कि महिलाए पुरुषों की तुलना में अधिक मेहनती, धैर्यवान, अहिंसक और ईमानदार होती है।
इस योजना के तहत देश की महिलाओ को शोषण से बचाना, सही-गलत के बारे में अवगत कराना, उनकी शिक्षा सुनिश्चित करना, बेटियो को सामाजिक और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना और बेटा-बेटि में किसी भी प्रकार के भेदभाव को कम करना है।
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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना कितनि सफल रही
महिलाओं की स्थिति को ध्यान में रखते हुए देश में कई योजनाएं बनाई गईं थी। जिसमें सुकन्या समृद्धि योजना, बालिका समृद्धि योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना, लाडली योजना, कन्याश्री प्रकल्प योजना और धनलक्ष्मी योजना शामिल है। लेकिन क्या हमें इन योजनाओ से लाभ हुआ? क्या हमने इन योजनाओ के बारे में सरकार से प्रश्न किया? शायद नहीं और इसीलिए हम अक्सर इन योजनाओ के परिणाम से अनजान रहते है।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना 2015 में भारत सरकार द्वारा लागू की गई थी। लेकिन अभी तक इस योजना के बारे में कोई ठोस दस्तावेज सामने नहीं आए है। इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि इस योजना से हमें बहुत फायदा हुआ या नुकसान। लेकिन कई राज्यो में इस अभियान के बहुत अच्छे परिणाम दिखने मिले है, जिसे कोई नकार नहीं सकता है।
देश में नेक विचार और सांस्कृतिक माहौल बना है। लेकिन इस के बावजूद भी आज कन्या भ्रूण हत्या के मामले काफी मात्रा में अंजाम दिया जा रहा है। इसे हमें रोकने की बहुत जरूरत है।
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बालिकाओं के प्रति हमारी जिम्मेदारी
स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि जिस देश में महिलाओं का सम्मान नहीं होता, वह देश कभी तरक्की नहीं कर सकता। महिलाओं के इसी सम्मान को पाने के लिए हमारी सरकार ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना शुरू की थी। भारत एक महान देश है, जहां पर महिलाओ को पुजा जाता है वंदन किया जाता है। उनको बहुत सम्मान किया जाता है।
लेकिन दुसरी तरफ हम लोग ही देश में बेटियों का शोषण करते है। इसमें भारत का हर व्यक्ति ऐसा नहीं है, लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों के कारण आम लोग भी अपनी बेटियों के साथ भेदभाव करने लगते है। इसलिए सरकार ऐसी योजनाए लाकर महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने का प्रयास करती है। लेकिन जब तक लोगो का सम्पूर्ण साथ नहीं होगा तब तक ऐसी हजारों योजनाएं भी व्यर्थ है। इसलिए हमें सरकार का साथ देकर हर योजना को सफल बनाने का प्रयास करना चाहिए।
भारत में लिंग जांच करने वाली मशीनें बहुत आसानी से उपलब्ध हो जाती है। इसलिए हमें सबसे पहले इन मशीनों पर प्रतिबंध लगाना होगा। भारत सरकार ने इसके खिलाफ एक सख्त कानून भी बनाया है, लेकिन पैसो की लालच में कुछ डॉक्टर आज भी लिंग जांच करते है। यहां हमें खुद जागरूक होकर इन मशीनों पर रोक लगानी होगी। अगर कोई हमारे आस-पास गर्भ की जांच करवाए तो हमें तुरंत पोलिस को इसकी सूचना देनी चाहिए। तभी हम महिलाओ की रक्षा कर पाएंगे।
निष्कर्ष
संसार के निर्माण की शक्ति रखने वाली और देश के विकास और वृद्धि के लिए आवश्यक बेटियों को बेटो की तरह सम्मान मिलना ही चाहिए। बल्कि आज के आधुनिक युग में महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे बढ़ने लगी है। इसलिए हम सभी को भारतीयों को अपनी संकुचित मानसिकता को छोड़ कर महिलाओ को खुले आसमान मे उड़ने देना चाहिए। (Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi)
FAQ
Q : बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का उद्देश्य क्या है ?
ANS : बेटियों की सुरक्षा करना, उन्हें अच्छी शिक्षा देना और देश में लिंगानुपात को नियंत्रित करना इसका उद्देश्य क्या है।
Q : बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत कब से हुई ?
ANS : 22 जनवरी 2015
Q : बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत कहाँ से हुई ?
ANS :हरियाणा राज्य के पानीपत जिले से
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