(2022) ग्लोबल वार्मिंग पर निबंघ – Global Warming Essay in Hindi

ग्लोबल वार्मिंग हमारे लिए एक खतरनाक समस्या है, जिसकी वजह से पृथ्वी लगातार गर्म हो रही है। विश्व के प्रमुख वैज्ञानिकों के अनुसार अगर इसे रोका नहीं गया तो आने वाले कुछ सालों में प्राकृतिक आपदाएं दुनिया बढ़ेंगी। इसके साथ-साथ पर्यावरण में भी बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।

 

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ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ

विभिन्न गतिविधियां के कारण जब पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा हो, उसे ग्लोबल वार्मिंग कहते है। सूर्य की कई किरणें वायुमंडल से होती हुईं पृथ्वी की सतह से टकराती है, और फिर परावर्तित होकर वापस लौट जाती है। लेकिन पृथ्वी का वायुमंडल कई वायु से मिलकर बना है। इसमें कुछ ग्रीनहाउस वायु भी शामिल है जैसे कार्बन डायआक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, मिथेन आदि। यह वायु जब वायुमंडल में बढ़ जाए तो धरती के ऊपर एक आवरण बना लेती है। यही आवरण परावर्तित होकर लौटती किरणों के एक भाग को रोक देता है और इसी के कारण पृथ्वी का वातावरण लगातार गर्म हो रहा है। इसी को ग्लोबल वार्मिंग कहते है।

दुनिया के कई बड़े वैज्ञानिकों के अनुसार 21वीं सदी की सबसे बड़ी समस्या ग्लोबल वार्मिंग है। वैज्ञानिकों ने इसकी मिसाल तृतीय विश्वयुद्ध दी है। उनके मुताबिक तृतीय विश्वयुद्ध से होने वाले नुकसान से 10 गुना ज्यादा ग्लोबल वार्मिंग का नुकसान होगा।

 

ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन

21.3 प्रतिशत के साथ पावर स्टेशनों में ग्रीनहाउस गैसों का सबसे अधिक उत्सर्जन होता है। उसके बाद इस गैस का 16.8 प्रतिशत प्रत्येक क्षेत्र के उद्योग से उत्पन्न होता है। परिवहन और गाड़ियों से लगभग 14 प्रतिशत, खेती-वाडी से 12.5 प्रतिशत, जीवाश्म ईंधन से 11.3 प्रतिशत, रहवासी क्षेत्रों से 10.3 प्रतिशत, बायोमास जलने से 10 प्रतिशत और कचरे को जलाने से 3.4 प्रतिशत ग्रीन हाउस गैस का उत्पन्न होता है।

 

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ग्लोबल वार्मिंग के कारण

ग्लोबल वार्मिंग को सबसे ज्यादा बढ़ावा ग्रीन हाउस गैस देते है। वैज्ञानिकों के अनुसार ग्रीन हाउस गैसों में कार्बन डाईआक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन जैसे कई गैस शामिल है। ग्रीन हाउस गैस बाहर की गर्मी को अपने अंदर सोख लेती है। इन गेसों का उपयोग ज्यादा सर्दी वाली जगहो में पौधों को गर्म रखने के लिये किया जाता है।

ज्वालामुखी विस्फोट, जीवाश्म ईंधन, ऑटोमोबाइल आदि बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करते है। इसके अलावा हवाई जहाज, वाहन और बिजली संयंत्र उद्योगों से भी काफी ज्यादा इन गेसों का उत्सर्जन होता है। मनुष्य और पशु-पक्षी अपनी सांस से कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। आज जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। इससे भी यह गेस की मात्रा बढ़ती है।

पेड़ो की कटाई और जंगलों के विनाश के कारण भी ग्रीन हाउस गैस बढ़ते है। क्योकि पेड़ कार्बन डायआक्साइड गेस को कम करते है। ग्लोबल वार्मिंग गेस की बढ़ोतरी में एक बड़ा कारण प्रदुषण भी है जिसे हम नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते है। इस समय दुनिया के कोने-कोने में प्रदूषण फैला हुआ है। प्रदूषण के कारण कार्बन डाइऑक्साइड वायु भी उत्पन्न होती है।

सूर्य से निकलने वाली घातक अल्ट्रावायलेट किरणों को ओजोन वायु की परत पृथ्वी पर आने से रोकती है। लेकिन रेफ्रीजरेटर्स, एसी और अग्निशामक यंत्रों से निकालने वाला सीएफसी गेस ओजोन वायु की परत को नष्ट कर रहा है। इसकी वजह से सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें अब सीधे धरती पर पहुंच रही है और पृथ्वी के तापमान को बढ़ा रही है।

 

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ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव

वैज्ञानिकों के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग आज दुनिया के हर क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है। यहां हम सभी क्षेत्रों को जानेगे। 

 

मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग से मनुष्य सबसे अधिक प्रभावित होगा, क्योंकि तापमान में वृद्धि के कारण डेंगू, मलेरिया, फेफड़ों के संक्रमण की बीमारी, अस्थमा और बुखार जैसी बीमारियाँ होती है। इसके अलावा वातावरण में कार्बन डायोक्साइड का प्रमाण बढ़ेगा और शुद्ध ऑक्सीजन की कमी के कारण इंसानों की मौत हो सकती है।

 

जीव-जंतु और पशु-पक्षियों पर प्रभाव

मौसम की बदलती स्थितियों के कारण आज कई जनवारों का अस्तित्व खतरे में है।  बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण आज पेंगुइन, ध्रुवीय भालू, आर्कटिक लोमड़ी, टॉड, ग्रे वुल्फ जैसी कई प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर है। क्योकि जब गर्मी बढ़ती है, तब कई पशु-पक्षी पहाड़ी इलाकों की तरफ जाते है। लेकिन इसमें कई प्रजातीया अपना अस्तित्व खो देती है।

 

पेड़-पौधों पर प्रभाव  

जब तापमान बढ़ेगा तो पानी की उपलब्धता कम हो जाएगी। इससे मिट्टी में भी परिवर्तन आएगा। जब इन दोनों में अनियमितता होगी तो पेड़-पौधों की वृद्धि रुक जाएगी। इस तरह ग्लोबल वार्मिंग के कारण पेड़-पौधों के विलुप्त होने की भी आशंका है।

 

भूमि पर प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से आज विश्व की कई जगहों पर वातावरण में भयंकर बदलाव आ रहा है। जैसे कई देशों में काफी ज्यादा बारिश हो रही है, तो कई देशों में सूखा पड़ रहा है। अनियमित वातावरण के कारण उपजाऊ भूमि आज बंजर बनती जा रही है।

 

जल पर प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमनदी लगातार गल रही है। हिमनदी गलने के कारण महासागरो का पानी गर्म हो रहा है। लेकिन गर्म पानी से कई जलीय जीवन की मृत्यु हो रही है। इसके साथ-साथ समुद्रो में पानी का स्तर भी काफी उचा आया है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ की आशंका बढ़ती जा रही है।

 

वायु पर प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ता है और ओजोन गैस का स्तर टूटता है। लेकिन तापमान बढ़ने की वजह से मनुष्य को श्वास, अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियां होने लगती है। पिछले कुछ सालो के अंदर ऐसी समस्याओ में काफी बढ़ोतरी हुई है।

 

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ग्लोबल वार्मिंग से बचाव

  • ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए हमें सबसे पहले पेट्रोल के उपयोग को कम करना होगा। क्योकि पेट्रोल से कार्बन डाइऑक्साइड वायु सबसे ज्यादा निकलता है। पेट्रोल के बदले हमें ईलेक्ट्रोनिक और हाइब्रिड वाहन बनाने होंगे।
  • हमें अपने आस-पास के वातावरण को बिलकुल प्रदूषित नहीं करना है। इसके बारे में लोगो को जागरूक करना भी बहुत जरूरी है।
  • कचरा प्रबंधन की नई-नई तकनीक को अपनाना होगा। जिससे हानिकारक गैसें कम उत्पन्न हो।
  • सी.एफ.सी. गैसों के उत्सर्जन को रोकने के लिए भी हमें प्रयास करने होंगे। यह गेस फ्रिज़, एयर कंडीशनर और दूसरे कूलिंग मशीनों में इस्तेमाल किया जाता है। यह गेस ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ने में मदद करता है।
  • जब भी हमें लंबी दूरी की यात्रा करनी हो तो हमें कार की जगह ट्रेन का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ-साथ दैनिक जीवन में कोशिश करे कि खुद के वाहनों के स्थान पर सार्वजनिक बसों और ट्रेनों का उपयोग करें।
  • अधिक धुआँ निकालने वाले उधोगों को हमें रोकना चाहिए। सरकार को भी ऐसे उधोगों पर कड़े कानून बनाने चाहिए।
  • आज के दौर में अंधाधुन पेड़ कटे जा रहे है। इसके साथ-साथ लगातार जंगलों का विनाश हो रहा है। हमें इन दोनों को बचाने के प्रयास करने होंगे। क्योकि पेड़ हमारे वातावरण को शुद्ध रखते है।
  • ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए, संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने 2015 तक एक जलवायु संधि की थी। इस संधि में दुनिया के 195 देश शामिल थे। लेकिन फिर भी हम ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में नाकाम रहे है।
  • वर्तमान में किए गए एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के सबसे ज्यादा जहरीली गैसों को उत्पन्न करने वाले देशों में चीन, भारत और ब्राजील सबसे आगे है।
  • ग्लोबल वार्मिंग का समाधान करना हमारे लिए चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं। अगर हम इन सभी उपायो को अपने दैनिक जीवन में अपनाएँगे तो ग्लोबल वार्मिंग को कम कर सकते है।

 

निष्कर्ष

वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग की समस्या वातावरण और पर्यावरण दोनों पर प्रभाव डालती है। जिसकी वजह से दुनिया में बसे हर व्यक्ति के जीवन को एक बड़ा खतरा है। हमें यह सोचना चाहिए कि कैसे हम CO2 जैसे खतरनाक गैसों को कम कर सके। एक कवि ने लिखा था कि जिस गैस के कारण हमारी सांस चलती है, उन्हीं गैसों के कारण हमारी सांसे थम भी सकती है। (Global Warming Essay in Hindi)


FAQ

Q : ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध कैसे लिखें ?

ANS : हमने इस आर्टिकल में बहुत आसान भाषा में आपको ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध दिया है। आप इसे पढ़ सकते है।

Q : ग्लोबल वार्मिंग के लिए कौन सी गैस जिम्मेदार है ?

ANS : कार्बन डाईआक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन

Q : ग्लोबल वार्मिंग क्या है ?

ANS : विभिन्न गतिविधियां के कारण आज पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है, इसे ही ग्लोबल वार्मिंग कहते है।


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