(2022) कचरा प्रबंधन पर निबंध- Essay on Waste Management in Hindi





आज के समय में हमारे लिए कचरे को कहीं भी फेंक देना सामान्य है। परंतु एक दिन यही कचरा हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या बनने वाला है। क्योकि इससे गंभीर बीमारियां उत्पन्न होती है, जिससे हर दिन लाखों लोगों की जाने जा रही है। एक रिपोर्ट से पता चला है कि दुनिया के किसी देश में हररोज बाढ़, भूकंप या और कोई कुदरती समस्या होती ही है। इन सभी प्राकृतिक आपदाओं की मुख्य वजह कचरा है। इसी कारण कचरे को प्रकृति का सबसे बड़ा दुश्मन कहा जाता है। 



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( इलेक्ट्रॉनिक कचरा पर निबंध पढ़ने के लिए- click here )



कचरा प्रबंधन का अर्थ

किसी भी कचरे को सही तरह से निपटाने के लिए उसे संग्रह, परिवहन, निगरानी और उस पर कुछ खास प्रक्रिया करनी पड़ती है। उसे ही कचरा प्रबंधन या अपशिष्ट प्रबंधन कहते है। यह कचरा मानव और प्रकृति के दैनिक कामकाज से उत्पन्न होता है। अगर इस कचरे को सही तरह से प्रबंधन ना किया जाए तो यह पूरी दुनिया के लिए खतरा है। लेकिन मनुष्य अभी भी कचरे का निपटान या प्रबंधन करने के बजाय तेजी से उत्पादन कर रहा है। अगर एसे ही चलता रहा तो, आने वाले समय में हम प्रकृति के कुछ एसे भयानक रूप देखेंगे जो आज से पहले हमने कभी नहीं देखे होंगे।



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कचरा प्रबंधन क्यो आवश्यक है?

कचरे को प्रबंधन करना बहोत जरूरी है, क्योकि यह मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। जैसे की औद्योगिक अपशिष्ट भूमि की उपजता को कम कर देता है। इससे मलेरिया, टी.बी, पीलिया और हैजा जैसी कई बीमारियाँ उत्पन्न होती है। इसीलिए हमे कचरा प्रबंधन करना आवश्यक है।

इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट में आर्सेनिक, मरकरी, लेड और कैडमियम जैसे कई जहरीले पदार्थ होते है। यह पदार्थ पर्यावरण और मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होते है। विश्वभर में पैदा होने वाले कुल ई-कचरे का चार प्रतिशत हिस्सा भारत में उत्पन्न होता है।

इसके अलावा प्लास्टिक, कांच, दवाई की शीशियाँ, धातु, चमडा, इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसा ठोस अपशिष्ट भी हमारे लिए नुकसानकारक है। यह कचरा कई साल बीत जाने के बाद भी नष्ट नहीं होता, जबकि भारत में प्रतिवर्ष 960 मिलियन टन ठोस अपशिष्ट उत्पन्न होता है।

kachra prabandhan kya hai

कचरे को फेंक देने से भूमि प्रदूषण होता है। इसकी वजह से उपज भूमि बंजर बन जाती जाती है, जिससे हमे कृषि में नुकसान होता है। इसके अलावा जब जमा हुआ कचरा सड़ने लगे तब उसमे से दुर्गन्ध निकलती है। इस दुर्गन्ध से ना सिर्फ आस-पास का वातावरण दूषित होता है, बल्कि कई खतरनाक बीमारिया भी फैलती है। इन बीमारियो के रोकने के लिए हमे कचरा प्रबंधन करना आवश्यक है।

जब यह अपशिष्ट नालियों से बह कर जल स्रोतों में मिल जाता है, तब यह जल को प्रदूषित करता है। इससे कई जलीय जीवों की मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा अगर इसी कचरे को जलाया जाए तो यह वायु को प्रदूषित करता है।

इस तरह हमे कचरे के इन सभी प्रदूषणों से बचने के लिए कचरे का सही प्रबंधन करना आवश्यक और जरूरी है।

कचरा प्रबंधन के उपाय

प्राचीन समय में मनुष्य एक गड्ढा खोद कर कचरे को दफन कर देते थे। इन मनुष्यों के लिए यही कचरा प्रबंधन था। लेकिन वर्तमान में हम इस तकनीक का उपयोग नहीं कर सकते है। क्योकि उस समय उनकी आबादी और कचरा बहुत कम था।

जबकि आधुनिक समय में हमारी आबादी और कचरा बहुत ज्यादा है। इसके साथ-साथ अगर वर्तमान में मनुष्य कचरे को दफनाए तो उसमे कीड़े और जीवजंतु उत्पन्न होने लगेंगे। इससे बड़े पैमाने पर बीमारी फैल सकती है। इसलिए आज के समय में कचरे का सही प्रबंधन करना जरूरी है। इसके लिए कई उपाय और तरीके है, जिसे हम बारी-बारी जानेगे। 

  • पुनर्चक्रण

कचरे को पुनर्प्राप्त करके उसको नई सामग्री और वस्तुओं में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को पुनर्चक्रण कहा जाता है। इस प्रक्रिया से कचरे की उपयोगी सामग्रियों की बर्बादी को रोका जा सकता है। इस प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाली चीजे कई जगह कच्चे माल के लिए उपयोगी होती है। पुनर्चक्रण से वायु और जल प्रदूषण को बहोत हद तक रोका जा सकता है। इस प्रक्रिया से ग्रीनहाउस गैस कम उत्पन्न होता है।

  • लैंडफ़िल

लैंडफिल एक जगह है, जहां कूड़ा-कचरा रखा जाता है। इसे सामान्य भाषा में समझे तो, जमा हुए कचरे को जब भूमि में दफन करके कचरे का निपटान किया जाए उसे लैंडफ़िल कहते है। परंतु जहा लोग रहते है, वहा कभी भी लैंडफिल को नहीं रखा जा सकते। क्योकि उसमे दुर्गंध होती है। लैंडफिल कचरा प्रबंधन करने का सबसे लोकप्रिय उपाय है।

इसमे कचरे को सबसे पहले लेंडफिल में लाकर छांटा जाता है, ताकि हर वो चीज़ को पुनर्चक्रित कर सके जो काम की है। उसके बाद कचरे को छोटे टुकड़ों में कुचल कर दफनाया जाता है। कई जगहो पर लेंडफिल से मीथेन गैस बनाई जाती है। इस गैस का उपयोग ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। परंतु वर्तमान में यह प्रकिया कम होती जा रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि, विश्व में मानवो की संख्या बढ़ रही है और कचरे को दफन करने की जगह कम होती जा रही है।

  • खाद

कचरा प्रबंधन करने के लिए खाद एक आसान और प्राकृतिक प्रक्रिया है। इसमे पेड़-पौधों और रसोई जैसे जैविक कचरे का प्रबंध किया जाता है। इस प्रक्रिया में जैविक कचरे को एक जगह जमा कर कई महीनों तक रखा जाता है, ताकि इसके अंदर रोगाणुओ का विघटन हो जाए। इसे कचरा प्रबंधन की सबसे सर्वोत्तम प्रकिया कहा जाता है। क्योंकि खाद प्रक्रिया असुरक्षित जैविक कचरे को सुरक्षित खाद में बदल देती है। लेकिन फिर भी यह प्रक्रिया आज बहोत प्रचलित नहीं है।

  • भस्मीकरण

ऐसा कहा जाता है कि, पर्यावरण को बचाने के लिए हमे ठोस कचरे को व्यवस्थित रूप से प्रबंधित करना होगा। क्योकि यही कचरा पर्यावरण को नुकसान पहोचाता है। ठोस अपशिष्ट का निपटान करने के लिए सबसे ज्यादा भस्मीकरण प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में कचरे को उच्च तापमान में जलाकर अवशेषों और गैसीय उत्पादनो में परिवर्तित किया जाता है। यह प्रकिया अमेरिका और जापान जैसे देशो में बहोत लोकप्रिय है। हमारी नगरपालिकाए ठोस कचरे का निपटान करने के लिए इसी प्रक्रिया का उपयोग करती है।  

  • गैसीकरण

इस प्रक्रिया में कचरे को उच्च तापमान में विखंडित (अलग) किया जाता है। इसमे कचरे का दहन बहुत कम ऑक्सीजन वाले क्षेत्रो में किया जाता है। इस प्रक्रिया से पर्यावरण को कम नुकसान होता है।

  • पाइरोलिसिस

गैसीकरण की तरह इस प्रक्रिया में भी अपशिष्ट को उच्च तापमान में विखंडित किया जाता है। लेकिन इसमे कचरे का दहन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में किया जाता है। इस प्रक्रिया से पर्यावरण को नुकसान नहीं होता।

इस तरह हम इन सभी उपायो का उपयोग कचरे का सही प्रबंधन करने के लिए कर सकते है। इससे अपशिष्ट भी खतम हो जाएगा और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा।

कचरा प्रबंधन के फायदे

कचरा प्रबंधन का सबसे पहला फायदा यह है कि, इससे पर्यावरण स्वच्छ रहता है। यदि हमारे आस-पास के सभी कचरे का उचित निपटान किया जाए तो हम पर्यावरण को आसानी से स्वच्छ रख सकते है। कचरा प्रबंधन की पुनर्चक्रण प्रक्रिया से हमे नए उत्पादों के लिए कच्चा माल प्राप्त होता है।

जब कचरे का सही निपटान किया जाएगा तब उसमे से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी गैस वातावरण में कम हो जाएगी। इससे ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण जैसी समस्याए उत्पन्न नहीं होगी।

कचरे से कई प्रकार की बीमारिया उत्पन्न होती है, जो हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। परंतु अगर हमने कचरे का प्रबंधन कर लिया तो इन बीमारियो से हम बच सकते है। इससे हमारे स्वास्थ्य में सुधार होगा। कचरे के संग्रह से लेकर उसके प्रबंधन तक कई लोग काम करते है। इसकी वजह देश में बड़ी मात्रा में रोजगार के अवसर भी प्राप्त होगे।

(यह भी पढे- कचरा एक बरबादी पर निबंध)

कचरा प्रबंधन के नुकसान

कचरा प्रबंधन करने के कुछ नुकसान भी है। जैसे की अपशिष्ट पदार्थों के प्रबंधन के लिए हमे मानव शक्ति के साथ-साथ अधिक धन भी चाहिए। क्योकि पुनर्चक्रण और लैंडफ़िल जैसी प्रक्रियाएं बहुत महंगी है। और हमारे भारत जैसे देशों में इन प्रक्रियाओं पर अधिक खर्च करना मुश्किल है। इसी वजह से हमारे लिए कचरा प्रबंधन की इन प्रक्रियाओ का उपयोग करना थोड़ा कठिन है।

इसके अलावा कचरा प्रबंधन की प्रक्रिया में लगे श्रमिकों के स्वास्थ्य को भी हमेशा खतरा रहता है। क्योंकि कचरे की दुर्गंध और उसमें शामिल जीवाणुओं से उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता है। कचरा जलाने से निकलने वाली हानिकारक गैस मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है।

परंतु दुनिया में बसी हर चीज़ के दो पहलू होते है, एक है फायदा और दूसरा है नुकसान। इस तरह कचरा प्रबंधन के भी दो पहलू है। परंतु कचरा प्रबंधन करने से सभी लोगो को लाभ होगा और ना करने से सभी लोगो का नुकसान। इसलिए हमे कचरा प्रबंधन करना जरूरी है।

निष्कर्ष

हम सभी भारतीयों को कचरे का प्रबंधन करके प्रकृति का संरक्षण करना चाहिए, क्योंकि प्राकृतिक सुंदरता हमारे लिए एक विरासत है। हम सभी प्रकृति का एक हिस्सा हैं और यह हमारी जिम्मेदारी है कि, हम कचरे के खतरनाक प्रभावों से प्रकृति को कैसे बचाए? आशा करता हु कि आज से ही आप प्रकृति को बचाने के लिए कचरे को कम उत्पन्न करेंगे और उसके प्रबंधन पर ज्यादा ध्यान देंगे।


अगर आपको इस निबंध से कुछ भी लाभ हुआ हो, तो इसे शेर करना ना भूले। कचरा प्रबंधन पर निबंध पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद (Essay on Waste Management in Hindi)

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