(2022) आतंकवाद पर निबंध- Essay on terrorism in Hindi

आतंकवाद, एक एसा शब्द जिसने आज पूरी दुनिया के नाक मे दम करके रखा है। सिर्फ एक आतंकवादी बम विस्फोट से कई सामान्य लोग मारे जाते है। आतंकवाद देश की आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्थितियों को प्रभावित करता है। वर्तमान में आतंकवाद बहुत तेजी से फैल रहा है। विश्व के सभी देश इस समस्या जुज़ रहे है। लेकिन अगर जल्द ही इसके लिए कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया तो इससे मानव जाति को काफी नुकसान होने वाला है।

 

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आतंकवाद का अर्थ

आतंक और वाद शब्दो को मिलाकर आतंकवाद शब्द बना है। जिसमे आतंक का अर्थ है भय और वाद का अर्थ है पद्धति। इस तरह सामान्य लोगों में भय पैदा करने की पद्धति को आतंकवाद कहा जाता है।

इसमे कई एसे संघठन है जिनका काम दुनिया के किसी भी देश में जाकर वहां के के नागरिकों पर हमला करना और उनमें डर पैदा करना है। यह लोग जब चाहें और जहां चाहे लोगों पर बॉम्ब ब्लास्ट करके उनको मार देते है। लेकिन सिर्फ बम विस्फोट करने वाले ही आतंकवादी नहीं है। अगर कोई व्यक्ति चोरी, अपहरण या बलात्कार करे तो वो भी एक आतंकवादी ही है। इसके साथ ही अगर कोई संगठन देश में हिंसा या दंगे करवाता है तो वह भी आतंकवाद है।

आतंकवाद पर निबंध

परंतु फिर भी कुछ लोग आतंकवाद को एक धर्म या जाती से जोड़ते है। एसे लोगो को समझना चाहिए कि, आतंकवाद का जाति, धर्म या देश से कोई सबंध नहीं होता। इन लोगो का मुख्य मकसद कानून विरोधी तरीके से अपनी बात मनवाना और हिंसा को बढ़ावा देकर आम-जनता में भय पैदा करना है।

हमारे जैसे देशो के लिए तो आतंकवाद एक बहुत बड़ी समस्या है। क्योकि हम तो पहले से ही गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, निरक्षरता और असमानता जैसी आपत्तियो से गुजर रहे है। लेकिन फिर भी भारत ने आतंकवाद को खत्म करने के लिए कई प्रयास किए है।

 

आतंकवाद का कारण

  • आतंकवाद के कई आंतरिक और बाहरी कारण है। जिसमे सबसे पहला आंतरिक कारण यह है कि जब भी किसी देश की राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था आम नागरिकों के प्रति बहुत संवेदनहीन बनजाए तब आंतरिक आतंकवाद उत्पन्न होता है।
  • सरकार द्वारा नागरिकों की समस्याओं को हल करने का वादा किया जाए परंतु उनका समाधान ना किया जाए तब आंतरिक आतंकवाद उत्पन्न होता है।
  • जब देश में गरीबी और बेरोज़गारी जैसी समस्या बढ़ती जा रही हो और सामंतो का शोषण जारी हो। ऐसे में कई लोगों को लगता है कि सरकार हमारा साथ नहीं दे रही है। फिर वह हिंसा और आतंकवाद का रास्ता चुनता है।
  • कई देशों में राजनीतिक दल खुद चुनाव जीतने के लिए इन आतंकवादी समूहों का सहयोग करते है। और चुनाव जीतने के बाद भी आतंकवाद के बलबूते पर शासन चलाते है। इसीलिए राजनीति भी आतंकवाद का प्रसार करने के लिए एक जिम्मेदार कारण है।
  • भ्रष्टाचार भी कुछ हद तक आतंकवाद को बढ़ावा देता है। जैसे की हमारे देश में बेरोजगार युवाओ की संख्या बहुत अधिक है। जब ये युवा खुलेआम भ्रष्टाचार देखते है तब वो हथियार उठाने पर मजबूर हो जाते है।
  • इन सब के अलावा आतंकवादी समूह अक्सर एसे युवाओं पर नज़र रखते है जो जीवन में किसी कारण असंतुष्ट है। यही लाभ को देखकर आतंकवादी समूह इन सामान्य नागरिक को अपने जाल मे फसाकर आतंकवादी बनाते है। इसके लिए वह इन युवाओं को नशीले पदार्थों का आदि बनाते है। इसके बाद ग़ैरक़ानूनी शस्त्र का निर्माण करके इनसे तस्करी कराते है। और अंत में इन हथियारों से ही यह लोग समाज में लोगों की हत्याएँ करते है, गोलियों और बमों के जरिये सामान्य लोगो के जीवन की शांति को भंग करते है, सांप्रदायिक दंगे फैलाते है और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाते है।
  • सामाजिक असमानता, जातिवाद, भाषाई अंतर आदि आतंकवाद फैलाने के मुख्य तत्व है। इन सब चीज़ों पर आतंकवाद पनपता है।
  • हमारे जैसे लोकतांत्रिक देशों में कुछ असामाजिक तत्व अलग-अलग धर्मो के बीच लड़ाई करवाते है। इससे भी आतंकवाद को पोषण मिलता है। जैसे हिंदू-मुसलमान दंगो में कई लोग आतंकवाद का सहारा लेते है।
  • क्षेत्रवाद के दंगे भी आतंकवाद को बढ़ावा देते है, जैसे कि जम्मू-काश्मीर के दंगे।
  • आज सभी देश बड़ी मात्रा में परमाणु बम, अणुबम, एटम बोम, हाइड्रोजन बम, मिसाइल, तोपें, मशीनगन, परमाणु हथियार आदि जैसे हथियारो का उत्पादन कर रहे है। जिससे विश्व मे आतंकवाद बढ़ता है।

 

आतंकवाद के प्रकार

आतंकवाद के मुख्य पाँच प्रकार है। राजनीतिक आतंकवाद, सांप्रदायिक आतंकवाद, अपराधिक आतंकवाद, धनात्मक आतंकवाद और ऋणात्मक आतंकवाद।

जो व्यक्ति केवल अपने स्वार्थ के लिए सामान्य नागरिक में डर फैलाता हो उसे राजनीतिक आतंकवाद कहते है। इसके अलावा कट्टर धार्मिक पंथी और छोटी मानसिकता वाले लोग जब दो धर्मो के बीच दंगे करवाए उसे सांप्रदायिक आतंकवाद कहते है। और जो व्यक्ति अपहरण करके पैसे की मांग करे उसे अपराधिक आतंकवाद कहते है।

इन सब के अलावा जिस व्यक्ति का हमला करने का उदेश्य पवित्र है उसे धनात्मक आतंकवाद कहते है। जैसे कि अगर कोई देश गुलाम है और उसको स्वतंत्र करने के लिए देश के नागरिकों द्वारा किया गया हिंसात्मक कार्य धनात्मक आतंकवाद है। लेकिन जिस व्यक्ति का हमला करने का उदेश्य किसी देश, जाती या समाज को बर्बाद करना हो उसे ऋणात्मक आतंकवाद कहते है। जैसे हमारे पंजाब और जम्मू-काश्मीर में हुए आतंकवादी हमले ऋणात्मक आतंकवाद है।

 

विश्व भर में आतंकवाद के दुष्परिणाम

आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या है। आज के दौर में आतंकवाद दुनिया के तमाम देशों में पहुंच चुका है। इसके कई खतरनाक परिणाम आए दिन हम दैनिक समाचार में देखते है। जैसे 11 सितम्बर 2001 में ओसामा बिन लादेन नामक एक आतंकवादी द्वारा अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर मे हमला हुआ था। इसमें कई लोग मारे गए थे और अमेरिका को करोड़ों डोलर्स का नुकसान हुआ था। यह हमला विश्व का आजतक का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला माना जाता है। लेकिन अमेरिकी सेना ने लादेन को उसके ही घर में जाकर फ़िल्मी अंदाज़ में मार गिराया था।

इसके अलावा साल 2015 में पाकिस्तान के करांची शहर के एक स्कूल में आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबार करके कई मासूम बच्चे और शिक्षकों की हत्या कर दी थी। अमेरिका और पाकिस्तान के साथ-साथ यूरोप, लैटिन अमेरिका, श्रीलंका, अफगानिस्तान और मध्य पूर्व के सभी देशो आतंकवादियो ने बहुत आतंक मचा रखा है। इससे देश की संपत्ति का तो नुकसान होता ही है, साथ ही कई बेगुनाह लोग भी मारे जाते है। इसलिए वर्तमान में दुनिया के हर देश इस गंभीर बीमारी से निपटना चाहता है।

 

भारत में आतंकवाद के दुष्परिणाम

हमारे देश के आजाद होते ही यहां आतंकवाद शुरू हो गया था। उस समय कई नए आतंकवादी संगठन द्वारा भारत में हमले शुरू हो गए थे। माना जाता है कि भारत में साल 1967 में बंगाल के कुछ इलाकों में नक्सलियों के रूप में आतंकवाद देखा गया था।

उसके कुछ सालो बाद पूर्वी प्रदेशों मे आतंकवाद का फिर से उदय हुआ। पूर्वी प्रदेशों मे सबसे पहले आतंकवाद नागालैंड में फैला था। नागालैंड का एक राजनीतिक संगठन नागा नेशनल कौंसिल भारत से नगालैंड को अलग करना चाहता था। इसमे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और मिज़ो नेशनल फ्रंटकी की गतिविधियों के कारण आतंकवाद मणिपुर और मिज़ोरम में फैल गया और यह भी भारत से अलग होने की मांग करने लगे।

वहां से आतंकवाद पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश तक भी पहुँच गया था। किन्तु यहा आतंकवाद नक्सलवादीओ के रूप में सामने आया था। लेकिन इसका भयानक रूप पंजाब में देखने को मिला। साल 1983 में पंजाब के ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट्स फेडरेशन, बब्बर खालसा के सदस्य और दशमेश रेजीमेंट की कुछ गतिविधियो से देश में आतंकवाद की एक खतरनाक लहर उठी। इसमे कई सामान्य नागरिकों की हत्याए की गयी थी। इसीलिए साल 1984 में इन आतंकियों को हमारी सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार करके पकड़ा था।

कुछ आतंकवादी जम्मू-कश्मीर को भी भारत से अलग करना चाहते थे। यहां पर आतंकियो को विदेशी संगठन, विदेशी सेना और सरकार का पूरा साथ मिल रहा था। 1979 की साल में असम में भी उल्फ़ा नामक एक आतंकवादी संगठन था। इस संगठन का मुख्य लक्ष्य असम को एक अलग राज्य की स्थापना करना था। असम में उन्होंने अपहरण, जबरन वसूली और कई हिंसक आंदोलन किए थे।

इसके अलावा भारत में कई एसे आतंकी हमले हुए है, जिनमें हमारे अनेक राजनेता मारे गए। जिसमे श्रीमती इंदिरा गाँधी, राजीव गांधी, पंजाब केसरी के संपादक लाला जगतनारायण और रमेशचंद्रजी की हत्या, कश्मीर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री मुशीर-उल-हक आदि जैसी कई हत्याए शामिल है।

इस तरह आज़ादी से लेकर आज तक हमारे देश में न तो इन आतंकियों के हमले रुके और न ही हम इन्हें रोक पाए। आंकड़ों की बात करें तो पिछले 20 सालों में भारत में इन आतंकी हमलों में 55 हजार से ज्यादा लोग मारे गए है।

 

आतंकवाद से लड़ने वाली भारत की एजेंसियां

भारत में आतंकवाद को खत्म करने के लिए कई सुरक्षा बल मौजूद है। जिसमे पुलिस, खुफिया एजंसी और सैन्य संगठन शामिल है। लेकिन प्रमुख एजेंसियां की बात करे तो आतंकवाद निरोधी दस्ते, अनुसंधान और विश्लेषण विंग और राष्ट्रीय जांच एजेंसी है।

 

आतंकवाद को रोकने के उपाय

भारत सरकार ने आतंकवाद को रोकने के लिए कई प्रयत्न किए है। जैसे कि साल 1985 मे भारत सरकार ने टाडा और साल 2002 पोटा नामक कानून आतंकवाद को रोकने के लिए बनाए थे। कुछ सालो बाद इन कानूनों को निरस्त कर दिए गया । इसके बाद भारत सरकारने शस्त्र क़ानून में भी संशोधन किया, जिसके तहत अगर आतंकवादी गतिविधियो की वजह से किसी की जान जाए तो उस अपराधी को मृत्युदंड की सजा दी जाएगी ।

इसके अलावा कई बार केंद्र और राज्य सरकारों ने आतंकवाद को रोकने के लिए सेना की मदद लेकर सख्त कार्रवाई भी की है। लेकिन फिर भी इसको जड़ से खतम करने के लिए हमे बहुत ठोस निर्णय लेने की आवश्यकता है। आंतरिक आतंकवाद को कम करने के लिए हमारी केंद्र और राज्य सरकारो को समाज के शोषित वर्ग की समस्याओं को हल करने में अधिक ध्यान देना चाहिए। क्योकि अगर शोषित वर्ग पर विशेष ध्यान रखा जाए तो आतंकवादीयों को उभरने का कम अवसर मिलेगा।

जब कोई संगठन एकजुट होकर हिंसा करे, इससे पहले सरकार को उनसे संवाद कर समस्याओं का समाधान करना चाहिए। लेकिन अगर पड़ोसी देशो द्वारा आतंकवाद फैलाया जा रहा है, तो उन देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने की कोशिश करनी चाहिए है। ताकि वो भी आतंकवाद को बढ़ावा न दे। परंतु फिर भी न माने तो हमारी देश की सीमा पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।

इसके अलावा जो युवा इन आतंकियो की जाल में फस जाते है, उन्हें समजाकर सही रास्ते पर लाने के प्रयास करने चाहिए। इसके लिए अगर उन्हें रोजगार दिया जाए और उनमें देशभक्ति की भावना पैदा की जाए तो हम उन्हें आतंकवादी गतिविधियो से बचा सकते है। हमे स्कूल-कॉलेजो से ही बच्चो के अंदर राष्ट्रिय एकता की भावना लानी चाहिए।

दुनिया के तमाम देशों को आतंकवाद से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करने होंगे। इसके साथ-साथ सभी देशो को एकजुट होकर आतंकवाद से लड़ना है। इसलिए तो पूरा विश्व हर साल 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस मनाता है।

 

निष्कर्ष

आतंकवाद ने मानव सभ्यता को बहुत नुकसान पहुंचाया है। इसकी वजह से पता नहीं कितनी औरतें विधवा हुई होंगी, कितने बच्चे अनाथ हुए होंगे और कितने माँ-बाप ने अपने फूल जैसे बेटा या बेटी को खो दिया होगा। इसीलिए वर्तमान में न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में आतंकवाद पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है। एक बात जरूर याद रखे कि आतंकवाद को रोकना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन नामुमकिन नहीं।


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