अनुशासन पर निबंध- Anushasan Essay in Hindi

अनुशासन यानि समय के हर पल-पल का सही उपयोग करना। इतिहास गवाह है कि जिसने भी अनुशासन को अपनाया है आज उनका नाम बड़ी शान से लिया जाता है। इसलिए दुनिया के किसी भी मनुस्य को अगर जीवन में सफल इंसान बनना है, तो उसे अनुशासन अपनाना होगा। आज के इस आधुनिक युग में अनुशासन के बिना एक अच्छे जीवन की कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है। क्योकि आज हर क्षेत्र में आपके हजारो-लाखो प्रतियोगी मिल जाएंगे। ये सभी लोग एक साथ सफल नहीं हो सकता है। इसलिए इन लाखो लोगो में वही लोग सफल होंगे जो कडा अनुशासन पालन करते होंगे। इसी वजह से ज़िंदगी के सभी पहलू में अनुशासन बहुत जरूरी है।

 

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अनुशासन का अर्थ क्या है

अनुशासन अनु और शासन शब्दो को मिलाकर अनुशासन शब्द बनता है। इसमें अनु का अर्थ होता है पालन और शासन का अर्थ होता है नियम। इस तरह अनुशासन का अर्थ होता हे नियमों का पालन करना। सुबह से लेकर रात तक हर कार्य को एक नियम के तहत करना इसे अनुशासन कहते है। इसे खुद पर शासन करना भी कहा जाता है, क्योकि जब आप नियमित और सही रूप से नियमो का पालन करते है तब आपका दिमाग और शरीर आपके नियंत्रण में रहता है।  

अंग्रेजी मे इसे डिसिप्लिन कहा जाता है। डिसिप्लिन शब्द डिसाइपल से बना है, जिसका अर्थ शिष्यो से आज्ञा का अनुसरण करने की अपेक्षा करना होता है। और संस्कृत में अनुशासन को शास धातु कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है नियमों का पालन करना। अनुशासन को साधारण भाषा में समझे तो किसी भी काम या कार्य को नियमबद्ध और व्यवस्थित तरीके से करना। दुनिया के किसी भी कार्य को सफल बनाने के लिए उसके नियमो का सही समय पर पालन करना बहुत जरूरी है और इसे ही अनुशासन कहते है।

अनुशासन एक एसी सीढ़ी है जिसके जरिये हम आसानी से सफलता की मंजिल तक पहोंच सकते है। हमारे प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने अनुशासन के बारे में कहा था कि अनुशासन ही देश को जीवित रख सकता है।हमारे देश के लिए अनुशासन उतना ही महत्व है जितना हमारे शरीर के लिए रक्त। लेकिन वर्तमान में लोगो ने अनुशासन की अलग ही व्याख्या बना रखी है। आज के युग में नियम के पीछे चलने को ही अनुशासन कहते है, जबकि समय, परिस्थिति ओर स्थान के अनुसार सही चलने का नाम अनुशासन है। हमारे महात्मा गांधीने क्या ने  भी अनुशासन के बारे में कहा था कि अनुशासन हमेशा विपत्ति की पाठशालाओ में सिखा जाता है।

 

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अनुशासन के प्रकार

अनुशासन हमें बाहरी समाज, कुटुंब और परिवार द्वारा मिलता है। लेकिन हमारे अंदर से भी अनुशासन की भावना उत्पन्न होती है। इन दोनों तरीको से हमें कई प्रकार का अनुशासन मिलता है। उसमें सबसे पहला है सकारात्मक अनुशासन। इस अनुशासन से व्यक्ति के अंदर एक तरह का सकारात्मक विचार उत्पन्न होता है।जैसे एक बच्चे को उसके माता-पिता द्वारा यह सिखाया जाए कि किसी समस्या को सकारात्मक रूप से कैसे सुलझाना है। 

अनुशासन सिखाने के लिए माता-पिता अपने बच्चो को शिक्षण संस्थाओ में भेजते है। यह भी सकारात्मक अनुशासन में शामिल है। दूसरा है नकारात्मक अनुशासन। किसी व्यक्ति को गलत आदेश देकर उन्हे हमारे नियमो को पालन करने के लिए मजबूर करना इसे नकारात्मक अनुशासन कहा जाता है। इसके अलावा अगर हमारे आस-पास का कोई व्यक्ति गलत काम कर रहा है तो उसका हम पर गलत प्रभाव पड़ता है। 

तीसरा है सीमा आधारित अनुशासन। इसका मतलब यह है कि हमारे समाज, कुटुंब और परिवार ने हम सब  लिए कुछ सिमाए या कुछ नियम निर्धारित कीये है। अगर हम उन सीमाओ या नियमो को पार करते है तो उसका परिणाम हमें खुद भुगतना होगा। इस अनुशासन के कारण बच्चे हमारे आज्ञाकारी होते है और उनके व्यवहार में सकारात्मकता आती है।  

चोथा है व्यवहार आधारित अनुशासन। यह अनुशासन मुख्य तौर पर हमारे व्यवहार पर आधारित होता है। अगर हमारा व्यवहार अच्छा है तो हमें प्रशंसा और पुरस्कार मिलते है। लेकिन अगर हमारा व्यवहार नकारात्मक और खराब है तो इसके परिणाम हमारे लिए बहुत नुकसानदायक होंगे।

अंतिम और पांचवां अनुशासन है आत्म अनुशासन। आत्म अनुशासन यानि हमारे मन और आत्मा को अनुशासित करना। अगर हमारा मन और आत्मा अनुशासन में होगा तो हमारा शरीर हमारे नियंत्रण में होगा और अंत में हमारे विचार और हमारे कार्य दोनों अपने आप ही अच्छे हो जाएंगे। इस तरह हमने अनुशासन के पाँच प्रकारो को जाना। अगर हमने इतने अनुशासन अपने जीवन में अपना लिए तो हमें सफल होने से कोई रोक नहीं सकता।

 

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अनुशासन की आवश्यकता

अगर कोई व्यक्ति हमारे देश के संविधान और कानून का पालन न करे तो क्या होगा। इसके परिणाम कुछ इस तरह होगे कि देश में हर जगह अपराध का दर बढ़ जाएगा। इस समय हमारे देश की स्थिति कितनी खतरनाक और भयानक होगी। इसी भयानक स्थिति से हमारे देश को बचाने के लिए हमें हर पल अनुशासन की आवश्यकता है। 

अनुशासन न होने कि वजह से विद्यालय के छात्र आपस में लड़ाई कर रहे होंगे, शिक्षकों का कोई मूल्य नहीं होगा। उनकी बात को कोई मानने के लिए तैयार नहीं होगा। पढ़ाई का तो नामो-निशान नहीं होगा। इसलिए हमें अनुशासन कि आवश्यकता है। देश के संविधान को नागरिको द्वारा सही तरीके से पालन करना और विद्यालय के नियमो को छात्रों और शिक्षकों द्वारा पालन करना भी एक अनुशासन ही है।

इसके अलावा अनुशासन का पालन न करने वाले लोग भविष्य में असफलता, आलस्य और हार से टकराएँगे और उनका कोई सम्मान नहीं करेगा। इसलिए हमें बचपन से ही अनुशासन का पाठ सिखाया जाता है, ताकि जीवन में हम आगे बढ़े और एक कामयाब और सफल व्यक्ति बने।

दुनिया के सभी संगठन एक अनुशासन का पालन कर रहे है। अगर इसमें कोई जरा भी गड़बड़ कर दे तो वो संस्था और संगठन का ज्यादा समय तक टिकना मुश्किल हो जाता है। क्योकि फिर लोग अपनी मनमानी करने लगते है। वो सबसे पहले अपने स्वार्थ को देखते है । लेकिन जहा अनुशासन आता है वहाँ ये लोग चुप हो जाते है। इसलिए जीवन के हर पहलू में मनुष्य को अनुशासन कि आवश्यकता है। 

 

अनुशासन के लाभ

एक कवि ने बहुत अच्छा लिखा है कि आप चाहे कितने भी बुद्धिमान और गुणवान क्यो न हो। लेकिन अगर आपके पास अनुशासन की कमी है तो वो आपको असफल बना देगी। अनुशासन की वजह से ही हमें दुनिया के सबसे अमीर आदमी जेफ बेजोस, दुनिया के सबसे क्रांतिकारी व्यक्ति महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला जैसे लोग मिले। इन सब की तरह अगर हमें भी सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंचना है तो अनुशासन को अपनाना ही होगा।

अनुशासन को अपनाने में हमे कोई नुकसान नहीं होगा। इसके फायदे ही फायदे है।  जैसे कि हम अनुशासन से अपने काम और लक्ष्य के प्रति पूरा ध्यान केंद्रित कर सकते है। अनुशासित व्यक्ति का लक्ष्य मजबूत और केंद्रित होता है और वो अपना काम सही समय पर करना जानते है। वो आसानी से अपने दिल और दिमाग को नियंत्रण कर सकते है। इसकी वजह से अनुशासित व्यक्ति को मानसिक तनाव की समस्या भी नहीं होती है।

इसके अलावा अनुशासित व्यक्ति को एक सम्मान मिलता है। ऐसा माना जाता है कि अगर आप अनुशासन में रहते है तो अन्य व्यक्तियो की नजर में आप एक सम्मान के पात्र बन जाते है। इससे समाज में कई लोग आपको प्रेरणास्रोत मानने लगते है। कई लोगो को सम्मान पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, लेकिन अनुशासीत व्यक्ति को सम्मान अपने आप मिलता है।

इसके अलावा अनुशासित व्यक्ति हमेशा स्वस्थ रहता है, क्योकि उनके हर कार्य नियमित होते है। जैसे कि सोना, नहाना, खाना, दवा, व्यायाम करना आदि कार्य सही समय करते है। समय पर दवा और व्यायाम से कोई भी पुरानी बीमारी ठीक हो सकती है। अनुशासन हमारे अंदर सकारात्मक दृष्टिकोण लाता है। अनुशासित व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास और उत्साह कूट-कूट कर भरा रहता है। उनसे आलस और बुरी लते कोषों दूर रहती है।

वो अपनी हर बात को बड़ी सावधानी से कहते है। कई बार लोगो का व्यवहार ही उनको मूर्खतापूर्ण समस्याओ से बचाता है। लेकिन ऐसे लोग अपने मन पर काफी नियंत्रण रखते है। अनुशासित व्यक्ति अपने लक्ष्य तक बहुत जल्दी पहोंच जाता है। वो अपना एक पल भी जाया नहीं करता। इसी कारण वो दूसरो की तुलना में तेजी से लक्ष्य प्राप्त कर सकता है।

इसके अलावा एक अनुशासन पालन करने वाले व्यक्ति के पास एक अनुशासनहीन व्यक्ति की तुलना में ज्यादा समय होता है। क्योकि वो हर काम समय पर कर लेता है, जिससे उसको कभी भी समय की कमी नहीं रहती है। अनुशासीत व्यक्ति हमेशा तनाव मुक्त रेहता है।

 

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अनुशासन कैसे सीखे

अनुशासन सीखने की शुरुआत हमें अपने घर से करनी चाहिए। अपने माता-पिता, घर के बड़े-बुजुर्ग और विद्यालय के शिक्षको की आज्ञा का हमें पालन करना चाहिए। हमें ऐसे लोगो के अनुभव, सफलता और असफलताओ से सीखना चाहिए। हमे अपने सभी कार्यो को पूरी लगन और मेहनत के साथ समय पर पूरा करना चाहिए। अगर अनुशासन को सीखना है तो हमें एक अच्छी दिनचर्या का पालन करना होगा।

बुरे काम, बुरी आदतो और बुरे लोगो से हमें दूर रहना चाहिए। हमारी कुदरत यानि प्रकृति से हम समय का सही उपयोग करना सीख सकते है, क्योकि सभी मौसम अपने समय पर आते है और समय पर चले जाते है। इसी कारण हमारी पृथ्वी का संतुलन बना हुआ है। हमें भी इस दुनिया में रहने के लिए प्रकृति जैसी अनुशासन की आवश्यकता होती है।

पर्यावरण, माता-पिता, शिक्षक, समाज, परिवार, कुटुंब आदि के प्रति हमारी बहुत सारी जिम्मेदारिया होती है। ऐसी जिम्मेदारियो को हमें समझकर अपने कर्तव्यो का पालन करना होगा। हमें अनुशासन की आवश्यकता और उसके महत्व को जानना होगा। और हमारी जिम्मेदारियो को समझना होगा।

अनुशासन का कडा पालन करके आप अपने जीवन को सफल बना सकते है। अपने आस-पास हो रही हर चीज़ को हमें बहुत ध्यान से देखना होगा, क्योकि दुनिया की हर चीज हमें कुछ-न-कुछ सबक जरूर देती है।अगर पूरे देश में हमें अनुशासन को फैलाना है तो हमें नैतिक और चारित्रिक दोनों शिक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा। तभी हम छात्रो के अंदर साहस, उत्साह, धर्य, विश्वास और कर्तव्य परायणता जैसे गुण को ला पाएंगे।

 

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व

अगर आपको अनुशासन का महत्व पूछना है तो ऐसे लोगो से पूछिये जिन्होने अपनी ज़िंदगी में कुछ बड़ा किया हो। जब आप बिल गेट्स, हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी जैसे लोगो के जीवनचरित्र पढ़ेंगे तो आपको कही न कही अनुशासन जैसा शब्द जरूर मिलेगा। जब इतने बड़े लोग अनुशासन को महत्व दे तो इसमें कुछ तो बात होगी। आप चाहे छात्र हो या शिक्षक, नेता हो या व्यापारी आपको हर जगह अनुशासन की आवश्यकता पड़ेगी।

एक विद्यार्थी का जीवन किसी भी देश, समाज और मनुष्य का भविष्य तय करता है। इसलिए विध्यार्थीओ को अनुशासन का महत्व समझाना जरूरी है। किसी विध्यार्थी को सिर्फ शिक्षा देना जरूरी नहीं है। उनको अनुशासन भी सीखाना चाहिए। इसलिए कहा जाता है कि अनुशासन के बिना शिक्षा अधूरी है। 

जब एक विध्यार्थी समय पर उठकर सुबह स्नान करता है, समय पर स्कूल जाता है, स्कूल में मन लगाकर पढ़ाइ करता है तो उसे हर विषय और पाठ्यक्रम को समझने में मदद मिलती है। ये सब कुछ जब एक छात्र समय पर करे तो उसे कभी भी परीक्षा का टेंशन और तनाव नहीं होगा। जब छात्रो को कोई मानसिक तनाव नहीं होगा तो वो हमेशा स्वस्थ रहेंगे। उनका मन शांत और शरीर स्वस्थ रहेगा। वो बड़ो का आदर करेंगे और उनकी बातों का अनुसरण करेंगे। इसी कारण एक छात्र को बचपन से ही अनुशासन सिखाया जाता है। 

जिसने अनुशासन को अपनाया वह भविष्य में सफल होगा और जिसने अनुशासन का ठुकराया वह भविष्य में बहुत परेशान होगा। इसलिए जीवन में अनुशासन को अपनाओ और खूब तरक्की करो। 

 

निष्कर्ष 

अनुशासन के बिना सफल होना किसी भी मनुष्य के लिए मुश्किल है, क्योकि हर सफल आदमी के पीछे अनुशासन नाम का शब्द जुड़ा ही होता है। इसलिए अनुशासन को सफलता की कुंजी कहा जाता है। लेकिन अगर आपके अंदर अनुशासन नहीं है तो आज से ही उसको अपनाए और दूसरों को भी इसका ज्ञान दे। 


FAQ

अनुशासन किसे कहते है ?

सुबह से लेकर रात तक हर कार्य को एक नियम के तहत करना इसे अनुशासन कहा जाता है।

अनुशासन के कितने प्रकार है ?

5 प्रकार है। सकारात्मक अनुशासन, नकारात्मक अनुशासन, सीमा आधारित अनुशासन, व्यवहार आधारित अनुशासन और आत्म अनुशासन

अनुशासन की आवश्यकता क्यों है ?

जीवन में सफल होने के लिए आपको अनुशासन की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। इतिहास गवाह है कि आज तक जीतने भी लोग शिखर पर पहुंचे है, उन्होने अनुशासन को अपनाया है।


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