(2022) अहिंसा पर निबंध- Essay on Non Violence in Hindi

(अहिंसावाद पर निबंध, अहिंसा क्या है, अहिंसा के प्रकार, अहिंसा दिवस, अहिंसा का महत्व और लाभ)

अहिंसा यानि दुनिया के किसी भी जीव को तन, मन, धन और वाणी से हानी न पहुँचाना। इसे गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी जैसे इतिहास के सबसे सदाचारी और प्रसिद्ध लोगो ने अपनाया था। इसके साथ-साथ उन्होंने भारत के लोगो को भी इस मार्ग पर चलने का संदेशा दिया था। इन दोनों के अलावा स्वामी विवेकानंद, राजाराम मोहन राय और ईश्वर चंद विद्यासागर जैसे कई विश्व प्रसिद्ध लोगो ने अहिंसा को अपनाकर देश के प्राचीन रीति-रिवाजों को दूर करने का प्रयास किया था। 

 

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अहिंसा क्या है ?

अहिंसा को सरल भाषा में समझे तो हिंसा न करना या किसी को नुकसान न पहुँचाना। अहिंसा को अपनाना आसान है, लेकिन अहिंसा के मार्ग पर चलना कठिन है। क्योकि इसके लिए मनुष्य को अपने मन और क्रोध पर नियंत्रण रखना होता है। और क्रोध व्यक्ति को बहुत जल्दी हिंसा में बदल सकता है। लेकिन अगर आप अहिंसा को अपना लेते है, तो समाज में एक बड़ा बदलाव ला सकते है। जिस तरह स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, मदरटेरेसा और नेल्सन मंडेला जैसे महान लोगो ने बदलाव लाया था।

परंतु वर्तमान समय में हिंसा बहुत तेजी से बढ़ रही है। मनुष्य छोटी-छोटी बातों को लेकर एक-दूसरे के साथ हिंसा का प्रयोग कर रहा है। लेकिन यह हमारे देश के लिए एक नकारात्मक घटना है। इससे देश का विकास नहीं होगा और गरीबी, बेरोजगारी बढ़ती जाएंगी। इन सभी चीज़ो को कम करने के लिए ही हमें अहिंसा को अपनाना जरूरी है।

 

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अहिंसा का महत्व

दुनिया का हर देश चाहता है कि उनके देश में हमेशा शांति बनी रहे। देश का हर नागरिक प्रेम और शांति से रहे। लड़ाई झगड़ा और आंतरिक गृहयुद्ध जैसा कोई काम उनके देश में न हो। लेकिन इसके लिए देश का प्रत्येक व्यक्ति अहिंसा के मार्ग पर चलने वाला होना चाहिए। क्योंकि अहिंसा ही एकमात्र तरीका है जहां लोग भाईचारे और देश प्रेम की भावना को सबसे पहले रखते है।

अहिंसा से लोगो में तनाव कम होता है। अहिंसा एक व्यक्ति के मन में उत्पन्न क्रोध और हिंसा को समाप्त करके आंतरिक तनाव को दूर करता है। हिंसा की वजह से आपको भविष्य में भारी क्षति का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन अहिंसा आपको कभी नुकसान नहीं पहुंचा सकती। और अहिंसा की शिक्षा तो भारतीय संस्कृति की पहचान मानी जाती है। इसके साथ-साथ अहिंसा को बौद्ध, हिन्दू और अन्य धर्मों में मानवीय क्रियाओं का आधार भी माना जाता है।

अहिंसा में इतनी ताकत है कि एक अंगुलिमार जैसा डाकू जब अहिंसावादी गौतम बुद्ध के संपर्क में आया तो वह बौद्ध भिछु बन गया। बौद्ध भिछु बनने के बाद अंगुलिमार ने हिंसा छोड़कर अहिंसा का रास्ता अपना लिया। इसलिए तो गौतम बुद्ध को प्राचीन काल में अहिंसा का सबसे बड़ा प्रणेता माना जाता है।

इसके अलावा कलिंग के युद्ध में मगध साम्राज्य के सम्राट अशोक ने जब बड़े पैमाने हिंसा देखी तो उनका मन व्याकुल हो उठा। इतनी बड़ी हिंसा का पश्चाताप करने के लिए अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाकर अहिंसा का मार्ग स्वीकार किया। अहिंसा का स्वीकार करने के बाद अशोक ने कोई युद्ध नहीं किया था। यह अहिंसा की शक्ति है। 

साल 1947 में अंग्रेज़ो से मिली देश की आज़ादी भी अहिंसा की देन है। देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने अहिंसा को अपनाकर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। इसी कारण आज दुनिया में गाँधी जी को अहिंसावादी विचारधारा का जनक कहा जाता है।

जब दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के नाम पर अश्वेतो पर अन्याय किया जाता था, तब भी नेलसन मंडेला ने उस अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए अहिंसा का मार्ग ही अपनाया था। इसके लिए उन्होंने 27 साल जेल की अंधेरी कोठरी में रहना पसंद किया, लेकिन हिंसा का रास्ता नहीं अपनाया। और जब अश्वेतो को न्याय मिला तो नेलसन मंडेला को दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बनाए गए।

लेकिन आज के दौर में पूरी दुनिया हिंसा पर आ गई है। फिर वह अफ़ग़ानिस्तान का गृहयुद्ध हो या सीरिया की तबाही। यहां पर लोग छोटी-छोटी बातों पर एक-दूसरे का गला काट रहे है। कुछ देशो में आंदोलन के नाम पर दंगे हो रहे है, जिससे आज कई बड़े बड़े देश तबाह होने की कगार पर है। इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक चीज़ यह है कि दंगे करने वाले लोगो में ज़्यादातर युवा है।

एक बड़े अंग्रेज़ ने कहां था कि किसी भी देश को तबाह करना है तो सबसे पहले उस देश के युवाओं को निशाना बनाओ। उन युवाओं को व्यसनी बनाकर खराब आदतों में लगा दो और सबके हाथ में हथियार दे दो, तो उस देश को तबाह और बर्बाद होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। इसलिए आज से ही हमें अहिंसा को अपनाना है और भारत के हर व्यक्ति तक पहुंचाना है। 

 

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अहिंसा दिवस कब होता है

हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा को अपनाकर विश्व के सबसे शक्तिशाली प्रजा अंग्रेज़ो को भारत से भगा दिया था। वह एक ऐसे नेता थे जिन्होंने पूरी दुनिया को सत्य और अहिंसा की शक्ति दिखाई थी और अंग्रेज़ो को भगाकर इसका उदहारण भी पेश किया था। इसी वजह से उनके जन्मदिन यानी 2 अक्टूबर 1869 को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 

अहिंसा के लाभ

अहिंसा का सबसे पहला लाभ आपसी प्रेम है। यदि हम हिंसा का उपयोग नहीं करेंगे तो आपसी प्रेम बढ़ेगा और नागरिकों में सहयोग की भावना का विकास होगा। इसके साथ-साथ लोग एक-दूसरे की भावनाओं की कद्र करेंगे। एक-दूसरे के सहयोग से लोग आगे बढ़ेगे और अंत में देश का ही विकास होगा।

अहिंसा से लोगों के बीच झगड़े कम होंगे या बातचीत से ही समस्या का समाधान होगा। इसकी वजह झगड़े भी कम होंगे और किसी के हाथ पैर भी नहीं टूटेंगे। डॉक्टर के पास जाने की कोई जरूरत नहीं होगी। अहिंसा की वजह से हम परेशानी और पैसे की बर्बादी दोनो से बच जाएंगे।

अहिंसा के कारण देश की सुरक्षा भी बढ़ेगी। क्योकि जब देश में किसी तरह की हत्या, मारपीट, चोरी या अन्य किसी तरह का अपराध नहीं होगा तो पुलिस अपने देश की समस्याओं से निजात पाकर दुश्मन पर कड़ी निगाह रखेगी। इससे हमारे दुश्मन देश कभी हमें नुकसान नहीं पहुंचा सकते है।

एक अहिंसक व्यक्ति अपनी जिम्मेदारीयों को समझ सकता है। वह केवल अपनी पत्नी, बच्चों और परिवार तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि वह समाज और देश के हित के बारे में सोचता है। उनकी खुशी देशवासियों की रक्षा करना और खुशियां बांटना है।

 

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अहिंसा के मुख्य प्रकार

अहिंसा में बहुत शक्ति है। इसीलिए महात्मा गांधी जी ने कहा था कि अहिंसा सर्वोच्च कर्तव्य है। अहिंसा के मुख्य तीन प्रकार है। औचित्य अहिंसा, जागृत अहिंसा और भीरुओं की अहिंसा। चलिये हम इन तीनों को विस्तृत में जानते है।

  • औचित्य अहिंसा

इस अहिंसा को दुर्बलों की अहिंसा भी कहा जाता है। इसमें अहिंसा का पालन ईमानदारी से किया जाता है। अगर हम औचित्य अहिंसा को अपने जीवन में अपना ले तो यह हमारे लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।

  • जागृत अहिंसा

जागृत अहिंसा मनुष्य की अंतरात्मा की आवाज है। इस अहिंसा में असंभव को भी संभव में बदलने की शक्ति है।

  • भीरुओं की अहिंसा

भीरुओं की अहिंसा को डरपोक और कायरों की अहिंसा कहा जाता है। जब कोई किसी व्यक्ति को परेशान करे या उसे मारे, तो भी उसके सामने न लड़े और अहिंसा की मदद से उसे माफ कर दे, उसे भीरुओं की अहिंसा कहा जाता है।

 

निष्कर्ष

अहिंसा का अर्थ है बुराई पर अच्छाई की जीत का सिद्धांत। अंग्रेज़ो की बुराई पर महात्मा गांधी जी ने देश को आज़ाद कराने के लिए प्रेम, सत्य, उपवास और ह्रदय की पवित्रता द्वारा अहिंसा को अपनाना चाहा। क्योकि अहिंसा बहुत शक्तिशाली है। और अंत में हमारे स्वतंत्रता सेनानी ने बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की। इसलिए किसी भी व्यक्ति को हमेशा अन्याय और अत्याचार का सामना करने के लिए हिंसा नहीं बल्कि प्रेम, दया, करुणा, त्याग और सत्य से करना चाहिए।


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FAQ

Q- अहिंसा का दूसरा नाम क्या है?

ANS- त्याग

Q- अहिंसावादी क्या है?

ANS- जो व्यक्ति अहिंसा को अपनाता है और जीवन में उसका अनुसरण करता है, उसे अहिंसावादी कहते है। जैसी की स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, मदरटेरेसा और नेल्सन मंडेला आदि

Q- अहिंसा का जीवन में क्या महत्व है?

ANS- एक अहिंसक व्यक्ति अपनी जिम्मेदारीयों को समझ सकता है। वह केवल अपनी पत्नी, बच्चों और परिवार तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि वह समाज और देश के हित के बारे में सोचता है। अहिंसा से देश के लोगो में आपसी प्रेम बढ़ता है।

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